क्रिस्टीन कोर्टनी ने एक मनमोहक त्रिगुट में लिप्त होकर अपने तंग छेदों को एक संपन्न व्यक्ति को सौंप दिया। उसका आंतरिक भार उसे भर देता है, जिससे उसकी मलाईदार समाप्ति की अतृप्त भूख भड़क जाती है। आनंद का पर्व आता है, जो एक अविस्मरणीय चरमोत्कर्ष पर समाप्त होता है।